मां मैं तुम्हारे कभी पैर के पास बैठ कर कपड़ो को हटा कर तुम्हारी पैर की अंगूठों को और सारी ऊंगली को बजा रहा था तुम्हारी पैरो को देख रहा था की तुम एक बार तो हमेशा की तरह मेरे बोलने पर पैर तो हिलयोगी, कभी तुम्हारे चेहरे को निहार रहा था आंखो को मैं खोल कर देख रहा था की हमेशा की तरह मेरे बोलने पर एक बार अपनी पलक तो झपको गी, पर तुमने पलक नही झपकी मां ! अब तुम्हारी हाथ और पैरों की नाखून मैं कैसे काटूंगा मां ! मां तुम क्यू नही लौटी!
This is the first step for all the people who is not aware about the real things in Life what is happening in this present situation.
Tuesday, February 7, 2023
मां तुम क्यूं नहीं लौटी!
मां तुम क्यू नही लौटी! मां अब मैं किसे बोलकर ऑफिस जाऊंगा और आने के बाद मैं किसे बोलूंगा की खाना खा ली ? मां तुम्हे अभी नहीं जाना था मुझे तुम तो हर रोज कहती थी मेरे पूछने पर की घर चलोगी, पर तुम चली गई क्यू मां ? तुम्हारे आंखरी दिन सुबह जब पहुंचा तुम्हारे पास पहुंचा तुम मेरे लिए, मेरा इंतजार कर रही थी हमेशा की तरह जब मैं कितना भी रात हो ऑफिस से घर आता था बिल्कुल वैसे ही ! तुम्हारी सांसे तो मेरे सामने वैसे ही चल रही थी जैसे रोज चलती थी पर तुमने मेरे सामने मेरे हाथों में अपनी सांसे अचानक से क्यों रोक दी मां !
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