HOPES
This is the first step for all the people who is not aware about the real things in Life what is happening in this present situation.
Friday, April 7, 2023
आंखों में आंसू
मां ARVI रोज रात को एक मां का गाना है जो हमेशा सुन कर सोती है जानती हो क्यू वो मेरे लिए सुनती है और वो भी तुम्हे इस गाने में फिल करती है आज भी जब भी कुछ देर बैठ कर तुम्हारे बारे में सोचता हु तुम्हारी याद आंसू बनकर मेरी आंखों से बह जाती है ! ARVI भी जानती है की मैं तुम्हे बहुत याद करता हूं! मैं बहुत कुछ लिखना चाहता हूं पर लिख !
Tuesday, February 7, 2023
मां तुम क्यूं नहीं लौटी!
मां तुम क्यू नही लौटी! मां अब मैं किसे बोलकर ऑफिस जाऊंगा और आने के बाद मैं किसे बोलूंगा की खाना खा ली ? मां तुम्हे अभी नहीं जाना था मुझे तुम तो हर रोज कहती थी मेरे पूछने पर की घर चलोगी, पर तुम चली गई क्यू मां ? तुम्हारे आंखरी दिन सुबह जब पहुंचा तुम्हारे पास पहुंचा तुम मेरे लिए, मेरा इंतजार कर रही थी हमेशा की तरह जब मैं कितना भी रात हो ऑफिस से घर आता था बिल्कुल वैसे ही ! तुम्हारी सांसे तो मेरे सामने वैसे ही चल रही थी जैसे रोज चलती थी पर तुमने मेरे सामने मेरे हाथों में अपनी सांसे अचानक से क्यों रोक दी मां !
मां मैं तुम्हारे कभी पैर के पास बैठ कर कपड़ो को हटा कर तुम्हारी पैर की अंगूठों को और सारी ऊंगली को बजा रहा था तुम्हारी पैरो को देख रहा था की तुम एक बार तो हमेशा की तरह मेरे बोलने पर पैर तो हिलयोगी, कभी तुम्हारे चेहरे को निहार रहा था आंखो को मैं खोल कर देख रहा था की हमेशा की तरह मेरे बोलने पर एक बार अपनी पलक तो झपको गी, पर तुमने पलक नही झपकी मां ! अब तुम्हारी हाथ और पैरों की नाखून मैं कैसे काटूंगा मां ! मां तुम क्यू नही लौटी!
Thursday, June 18, 2020
Arvi_18062020
इसी जादोजद् में हरेक सुबह गुजरती और मै हर वक्त मैं ऑफिस के लिए लेट होता हुँ पर सायद ये मेरी आदत जो हों गई है और मुझे ये अच्छा लगता है और जब उसे मै घर मे छोर कर उसकी माँ के पास जाता हुँ तो लगता है वो पल जो मैंने उसके साथ गुजरा सुबह की ऑफिस मे निश्चन्त हो कर काम करता हुँ!
हमेसा कोशीश करता हुँ की एसी कोई सुबह ना हो जब वह 👰रोती हूँये अपनी आँखे खोले और रात मे सोते समय रोते सोये 👸l
आपका आभारी
👪एक पापा👨👩👧
Monday, July 22, 2019
प्यार और बिस्वास
आज मैंने एक ऐसे इंसान को दुखी देखा, जिसे मैंने कभी सांत और दुखी नहीं देखा है | कारन बिस्वास जो उसने किसी पर किया जिसे हम कभी कभी प्यार का नाम देते है, इस दुनिया में बहुत काम लोग होते है जिसे ये नसीब दोनों तरफ से होती है, पर की करे ये तो दुनिया का दस्तूर है की कोई भी आपने नेचर को छुपा कर जयादा दिन तक नहीं रख सकता है वो कभी न कभी तो सामने आता ही है और सायद इसका दुःख उनलोगो को होता है जो ज्यादा ही इमोशनल होते है और सायद वह लकी थी जिसे ये सब पहले मालूम चल गया |
सायद उसे कुछ टाइम लगेगा इनसब चीजों से उभरने में जैसा की सभी के साथ होता है पर ना जाने क्यों उसके मन में एक डर था जो मुझे दुःख से ज्यादा उसके चेहरे में दिख रहा था | वो कही ना कही उसके चहरे पर आज दिन भर दिखा मे कुछ पूछ नहीं पा रहा था |
कैसे कोई प्यार करता है और सामने वाले पर उसे इतनी जल्दी भरोसा हो जाता है ना जाने क्यों और किसे गलत बोलू समझ नहीं आता है | मै जनता हु दुषरे तरफ से कोसी करेगा उसे कन्वेन्स करने के लिए और ये हो भी जायेगी, पर उसने इसके ऊपर इतने गंदे इल्जाम लगैया है की उसे कन्वेन्स नहीं होना चाइये पर देखते है |
Saturday, November 10, 2012
जीवन एक पहलू
लोग आते है हम उनके दुःख का हिस्सा ना होते हुये नियम के अनुसार उन्हें कंपनी से मिलने वाले डेथ क्लेम के बारे में सभी कुछ बताते है और भरसक इतना प्रयास करते है की उन्हें अपने उस इन्सान के जाने के बाद का धन जो की उनके फ्यूचर के लिये छोड़ा गया था जल्दी मिल जाये ।सारे डाक्यूमेंट्स हमारे संस्था में जमा होने के बाद से उन्हें क्लेम की रासी मिलने तक हम उनके साथ भी उनके दुःख के साथ जुरे रहते है ।
ना जाने कितने क्लेम प्रोसेस करने के बाद भिलाई के एक इन्सान जो की अपने जवान बेटे की मौत के बाद मेरे संपर्क में आये और करीब दो से तीन महीने तक मुझसे जुड़े रहे । उस पिता की उम्र करीब 55 वर्ष होंगी और उस बेटे की उम्र जिसकी मौत हुई थी 15-16 वर्ष । शायद वह करीब हमारे ऑफिस में 10 बार आ चुके होंगे । आँख में चस्मा और हाथ कांपते हुये उसकी हिम्मत को, मैं गौर कर रहा था उनके चहरे पर एक भी सिकन नहीं था हालाँकि उसके बेटे की मौत एक दुर्घटना थी तो उन्हें पुलिश थाने भी जाने की जरुरत परी जिसमे उसकी हिम्मत भी जबाब दे चुकी थी। उनकी सहायत के लिये मुझे भी अंतिम बार अपने रिपोर्ट भेजने के लिये भिलाई के उसी पुलिश थाने में जाना पड़ा जहा उनके बेटे का पोस्टमार्टम हुआ था ।
उसने मुझे बताया की थाने वाले उसे सही से मदद नहीं कर रहे है । मैं वहा गया और जितनी जानकारी मुझे लेनी थी पुलिश थाने वाले ने सही से जानकारी दी । और मुझे वहां जा कर पता चला कि किस तरह आम लोग और गरीब लोग इन सरकारी नौकरपेशो से परेशांन रहते है । मेरा काम हो चूका था और मेरे रिपोर्ट भेजने के बाद कुछ दिनों के बाद डेथ क्लेम का चेक आ गया और मैंने उस पिता को ऑफिस बुला कर वह चेक जैसे ही उसके हाथ में दिया पहली बार उस पिता को मैंने अपने सामने रोते हुए देखा । उसके आँख में आंसू देख कर उसके दुःख को तो मै महसूस कर रहा था पर मेरी कोई भी शब्द उसके दुःख को कम नहीं कर सकते थे । पर मेरे जुबान से एक ही शब्द निकले जो की हमेशा निकलते है "इन्सान के जीवन में यही एक पल होता है जिसमे उसका या उसके अपनों का कोई वश नहीं होता है और यह जीवन की सबसे करवी और सच्ची सच्चाई है ।"
उस पिता ने रोते हुए अपने बेटे की याद में उन पैसो से एक मंदिर बनाने की बात कही और मुझे धन्यवाद कह कर चला गया ।
शायद ही मैं दुबारा उस इन्सान से मिल पाऊंगा । लेकिन जीवन की सबसे बरी सच्चाई से उसने मुझे एक बार फिर से आमने सामने खरा कर दिया ।
राजेश !!!!!!
Monday, September 3, 2012
वो रौशनी जो आज परछाई है ......
कल मैंने एक ऐसे इन्सान से पहली बार इतने देर बात की जिन्हें मै दस सालो से जनता हूँ और एक ही बार मिला हूँ आपने उस इन्सान के साथ जो मेरी अपनी परछाई है पता नहीं कभी लगता है उसके बारे में लिखू या ना लिखू पर ना जाने कितने सवाल उस इन्सान के लिएये और उस जीवन के लिये आ रन्हे है जो जीवन के इतने नजदीक रहने पर भी उस जीवन के उलट फेर से हार गए है । मै कोसिस कर के भी उन्हें कोई तस्सली नहीं दे पाया क्युकी मै उनके सामने जीवन के मायने को कुछ भी नहीं जनता हूँ । वही जिंदगी में बार बार आने वाले सब्द से वे चुक गए और आपने आप को जीवन में कशुर वार समझने लगे ।
मुझे लगा नहीं था उस जीवन में कोई इतने अन्दर जाने के बाद उस बाहरी जीवन से भी धोखा खा जायेंगे ..पर इस जीवन ने उन्हें आपने तरफ भी खीचा ..और कल उन्होंने उस इन्सान के बारे में जिक्र किया जिसके बारे मैंने सोचा भी नहीं था की मै तो भूल भी चूका था ..पर वही इन्सान ने मुझे इस इन्सान से मिलाया था और चली गई थी...और मुझे यह आसा भी नहीं थी की उस इन्सान ने भी कंही न कंही उन्हें चोट पहुचाया था ..और उसी रिजल्ट के चलते कंही न कंही इस बार वे धोका खा गए ... सायद यह जिंदगी में उन अनजानी बिस्वास और धोखा की जंग थी जिसमे दो इन्सान हार गए ...अभी तक वो सरे सब्द मेरे कानो में गूंज रन्हे है जिनका जबाब मै खोज नहीं पा रंहा हूँ ...पता नहीं मै केसे उसे आपने सब्दो में उतारू कंही मै गलत साबित ना हो जाऊ ... इन्सान जब एक दुसरे से जुरते है तो कब तक एक वे आपने इस रिश्ते को किसी चाहत के बिना गुजर सकते है ...सायद वे भी अयसा नहीं कर पाए और उन्हें इस की कीमत ना जाने कितने सवालो से जीवन भर बिताना परेगा ....
Thursday, December 30, 2010
आसान है .....
अभी कुछ दिन पहले मैंने कुछ पढ़ा और इसे लोगो के बताने के लिये मै आपने आप को रोक नहीं सका । एक इन्सान जिसने खुद आपने आप से सवाल किया पर आपने आप तक उस आपने सोच और जीवन के सच्चे विचार आपने आप तक नहीं रख पाए और मजबूरन उन्हें आपने विचार को दुनिया तक लाना परा जिसपर कुछ लोग अमल कर रन्हे है और कुछ लोग उसे गलत मानते है । परउनके अयसे विचार जो आपने जीवन पर लागु किएये पर मै ये नहीं समझ पाया की वे आपने विचार को आपने आप तक ही क्यों नहीं रख पाए । उनके अयसा करने पर मेरे जेहन में कुछ सवाल उभरे जेसे :-
क) वे आपने सोच आपने आत्मा से उब गिये थे जिसके कारन उन्हें लोगो से आपनी सोच को जानने के लिये उन्हें आपनी सोच और बिचारो को दुनिया के सामने लाना परा ?
ख) या उन्हें आपने सोच और विचारो पर तालिय की जरुरत हुई ?
पता नहीं क्यों सायद हम भी यही चाहते है .... जब मै कभी किसी के साथ बैठता हूँ मुझे आपनी कोई भी बात बोलने की जरुरत नहीं होती है बस उन लोगो के सब्दो को सुन कर की लगता है की सायद जरुरत ही नहीं की आपने बातो को लोगो से बोलने की । सायद हरेक इन्सान के मन में वही सोच होती है जो हमारे मन में होती है ... क्यों हम आपने सोच को लोगो से अलग सुनने के लिये कुछ अयसा लिखने की कोसिस करते है जिससे हम लोगो के दिल में आपनी के अलग पहचान बना ले । सायद ये हमारी कमजोरी होती है ... जन्हा पर हमें आपने सोच और विचारो को लोगो के पास लाने की जरुरत होती है । तब तो वे लोग ही हम से जयादा खुश है जिन्हें आपने विचारो और सोच को लोगो तक लेन की जरुरत नहीं होती है ।
जीवन में सबसे आसन है किसी से आपने अच्छाई को सुनना और आपने आप को एक अलग साबित करना सायद यह एक भी कर सकता है ... पर क्यों हम अयसा करते है ...दुनिया में हम अयसे लोगो का चुनाव क्यों नहीं कर पाते है जिन्हें हमारी सोच की नहीं कुछ आपने तरफ से करने की जरुरत होती है जिसे केवल आपनी सोच में ही हम रख कर पूरा नहीं कर पाते है ।
मै और ना जाने हम जेसे कितने लोग जो केवल सब्दो की माला को पिरो कर यह सोच लेते है की हम जीवन को दुसरे लोगो से बेहतर समझ कर और जीवन में अच्छे विचार रख कर कुछ बदलाव कर रन्हे है पर सायद नहीं ... ये हमारी अन्दर की जरुरत है जिसे कर हम आपने आप को थोड़ी ख़ुशी दे पाते है । क्या हम ये हम सही कर रन्हे है ?
सायद मुझे कुछ हसी भी आती है मैंने अयसे इन्सान पर सवाल उठाये है जिन्होंने जीवन के अलग मैयाने ही बदले थे ।
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