अभी कुछ दिन पहले मैंने कुछ पढ़ा और इसे लोगो के बताने के लिये मै आपने आप को रोक नहीं सका । एक इन्सान जिसने खुद आपने आप से सवाल किया पर आपने आप तक उस आपने सोच और जीवन के सच्चे विचार आपने आप तक नहीं रख पाए और मजबूरन उन्हें आपने विचार को दुनिया तक लाना परा जिसपर कुछ लोग अमल कर रन्हे है और कुछ लोग उसे गलत मानते है । परउनके अयसे विचार जो आपने जीवन पर लागु किएये पर मै ये नहीं समझ पाया की वे आपने विचार को आपने आप तक ही क्यों नहीं रख पाए । उनके अयसा करने पर मेरे जेहन में कुछ सवाल उभरे जेसे :-
क) वे आपने सोच आपने आत्मा से उब गिये थे जिसके कारन उन्हें लोगो से आपनी सोच को जानने के लिये उन्हें आपनी सोच और बिचारो को दुनिया के सामने लाना परा ?
ख) या उन्हें आपने सोच और विचारो पर तालिय की जरुरत हुई ?
पता नहीं क्यों सायद हम भी यही चाहते है .... जब मै कभी किसी के साथ बैठता हूँ मुझे आपनी कोई भी बात बोलने की जरुरत नहीं होती है बस उन लोगो के सब्दो को सुन कर की लगता है की सायद जरुरत ही नहीं की आपने बातो को लोगो से बोलने की । सायद हरेक इन्सान के मन में वही सोच होती है जो हमारे मन में होती है ... क्यों हम आपने सोच को लोगो से अलग सुनने के लिये कुछ अयसा लिखने की कोसिस करते है जिससे हम लोगो के दिल में आपनी के अलग पहचान बना ले । सायद ये हमारी कमजोरी होती है ... जन्हा पर हमें आपने सोच और विचारो को लोगो के पास लाने की जरुरत होती है । तब तो वे लोग ही हम से जयादा खुश है जिन्हें आपने विचारो और सोच को लोगो तक लेन की जरुरत नहीं होती है ।
जीवन में सबसे आसन है किसी से आपने अच्छाई को सुनना और आपने आप को एक अलग साबित करना सायद यह एक भी कर सकता है ... पर क्यों हम अयसा करते है ...दुनिया में हम अयसे लोगो का चुनाव क्यों नहीं कर पाते है जिन्हें हमारी सोच की नहीं कुछ आपने तरफ से करने की जरुरत होती है जिसे केवल आपनी सोच में ही हम रख कर पूरा नहीं कर पाते है ।
मै और ना जाने हम जेसे कितने लोग जो केवल सब्दो की माला को पिरो कर यह सोच लेते है की हम जीवन को दुसरे लोगो से बेहतर समझ कर और जीवन में अच्छे विचार रख कर कुछ बदलाव कर रन्हे है पर सायद नहीं ... ये हमारी अन्दर की जरुरत है जिसे कर हम आपने आप को थोड़ी ख़ुशी दे पाते है । क्या हम ये हम सही कर रन्हे है ?
सायद मुझे कुछ हसी भी आती है मैंने अयसे इन्सान पर सवाल उठाये है जिन्होंने जीवन के अलग मैयाने ही बदले थे ।