Thursday, December 30, 2010

आसान है .....


अभी कुछ दिन पहले मैंने कुछ पढ़ा और इसे लोगो के बताने के लिये मै आपने आप को रोक नहीं सका । एक इन्सान जिसने खुद आपने आप से सवाल किया पर आपने आप तक उस आपने सोच और जीवन के सच्चे विचार आपने आप तक नहीं रख पाए और मजबूरन उन्हें आपने विचार को दुनिया तक लाना परा जिसपर कुछ लोग अमल कर रन्हे है और कुछ लोग उसे गलत मानते है । परउनके अयसे विचार जो आपने जीवन पर लागु किएये पर मै ये नहीं समझ पाया की वे आपने विचार को आपने आप तक ही क्यों नहीं रख पाए । उनके अयसा करने पर मेरे जेहन में कुछ सवाल उभरे जेसे :-
क) वे आपने सोच आपने आत्मा से उब गिये थे जिसके कारन उन्हें लोगो से आपनी सोच को जानने के लिये उन्हें आपनी सोच और बिचारो को दुनिया के सामने लाना परा ?
ख) या उन्हें आपने सोच और विचारो पर तालिय की जरुरत हुई ?

पता नहीं क्यों सायद हम भी यही चाहते है .... जब मै कभी किसी के साथ बैठता हूँ मुझे आपनी कोई भी बात बोलने की जरुरत नहीं होती है बस उन लोगो के सब्दो को सुन कर की लगता है की सायद जरुरत ही नहीं की आपने बातो को लोगो से बोलने की । सायद हरेक इन्सान के मन में वही सोच होती है जो हमारे मन में होती है ... क्यों हम आपने सोच को लोगो से अलग सुनने के लिये कुछ अयसा लिखने की कोसिस करते है जिससे हम लोगो के दिल में आपनी के अलग पहचान बना ले । सायद ये हमारी कमजोरी होती है ... जन्हा पर हमें आपने सोच और विचारो को लोगो के पास लाने की जरुरत होती है । तब तो वे लोग ही हम से जयादा खुश है जिन्हें आपने विचारो और सोच को लोगो तक लेन की जरुरत नहीं होती है ।

जीवन में सबसे आसन है किसी से आपने अच्छाई को सुनना और आपने आप को एक अलग साबित करना सायद यह एक भी कर सकता है ... पर क्यों हम अयसा करते है ...दुनिया में हम अयसे लोगो का चुनाव क्यों नहीं कर पाते है जिन्हें हमारी सोच की नहीं कुछ आपने तरफ से करने की जरुरत होती है जिसे केवल आपनी सोच में ही हम रख कर पूरा नहीं कर पाते है ।

मै और ना जाने हम जेसे कितने लोग जो केवल सब्दो की माला को पिरो कर यह सोच लेते है की हम जीवन को दुसरे लोगो से बेहतर समझ कर और जीवन में अच्छे विचार रख कर कुछ बदलाव कर रन्हे है पर सायद नहीं ... ये हमारी अन्दर की जरुरत है जिसे कर हम आपने आप को थोड़ी ख़ुशी दे पाते है क्या हम ये हम सही कर रन्हे है ?

सायद मुझे कुछ हसी भी आती है मैंने अयसे इन्सान पर सवाल उठाये है जिन्होंने जीवन के अलग मैयाने ही बदले थे ।

Sunday, December 26, 2010

यह भी एक जीवन है

करीब आज चार महीने हो गए स्टेशन की वो भीर और लोगो की जीवन चक्र को पूरा करने की भाग दौर को देखते हुए । उस भीड़ का हिस्सा मै भी हूँ और इतने समय बीत जाने के बाद उस औरत को आज भी उसी तरह देखता हु जेसा मैंने पहली बार स्टेशन पर देखा था । सायद हजारो लोगो की सोच उस औरत की प्रति बदल गई होगी पर उसकी सोच में आज तक कोई फरक नहीं आया है । सायद वही उसकी जीने की आस और आपनी सोच को हमेसा कायम रख कर जितने भी दिन हो जीने की वही जरिया से जीना चाहती है ।

टिकेट काउंटर की हरेक लाइन के लोगो के पास जा कर कुछ वैसे सब्दो को दुहराते रहना जिसे हर वक़त मै सुनता हु और उसकी हरेक समय की हरकतों को उसके चहेरे पर पढ़ना हजारो अजीब सी सवाल मेरे जेहन में आती है । " बाबु मेरी ट्रेन छुट रही है कुछ पैसे कम हो रन्हे है" कई लोगो के ना कहने और लोगो को उसके ऊपर ना बिस्वास करने के लिये कहने पर भी मेरे हांथ रुके नहीं और एक दस के नोट को मैंने उसके हाथ में थमा दिये । मेरे आगे के एक आदमी ने मुझ से पूछा "आप उस औरत को जानते है" मैंने कान्हा " नहीं" और और मुझ पर मुस्कुराने लगा । और मेरी नज़र उस बूढी औरत को देखने लगी की उसकी मुश्किले मेरे अंश भर के सहायता से कम हुई की नहीं.
पर कुछ पल के बाद मेरे चहेरे पर हलकी सी मुस्कान आई क्युकी सायद वह आपने पेट के लिये वह काम कर रही थी । और वह उसकी रोज की जीवन थी जिसे मै आज भी देखता हूँ ।

मुझे खुद पर अफ़सोस हुआ यह जान कर सायद यह भी एक जीवन का एक अंश है और उसे उसमे कोई अफ़सोस नहीं है । और हम उस औरत की जीवन के भगौलिक सुख से कंही आगे है पर सायद एक एक कदम पर हम अपने आपनो, आपने जीवन से उस सुख और सन्ति की उम्मीद करते रहते है और ना जाने कितने रिस्तो को उस रिश्तो के लिये भूलते जाते है जो उन सभी रिस्तो की सीडी होती है जिसपर हमें चड़ने के बाद लौटना भी उसी रास्ते से है ।