Monday, September 3, 2012

वो रौशनी जो आज परछाई है ......

कल मैंने एक ऐसे इन्सान से पहली बार इतने देर बात की जिन्हें मै दस सालो से जनता हूँ और एक ही बार मिला हूँ आपने उस इन्सान के साथ जो मेरी अपनी परछाई है पता नहीं कभी लगता है उसके बारे में लिखू या ना लिखू पर ना जाने कितने सवाल उस इन्सान के लिएये और उस जीवन के लिये रन्हे है जो जीवन के इतने नजदीक रहने पर भी उस जीवन के उलट फेर से हार गए हैमै कोसिस कर के भी उन्हें कोई तस्सली नहीं दे पाया क्युकी मै उनके सामने जीवन के मायने को कुछ भी नहीं जनता हूँवही जिंदगी में बार बार आने वाले सब्द से वे चुक गए और आपने आप को जीवन में कशुर वार समझने लगे


मुझे लगा नहीं था उस जीवन में कोई इतने अन्दर जाने के बाद उस बाहरी जीवन से भी धोखा खा जायेंगे ..पर इस जीवन ने उन्हें आपने तरफ भी खीचा ..और कल उन्होंने उस इन्सान के बारे में जिक्र किया जिसके बारे मैंने सोचा भी नहीं था की मै तो भूल भी चूका था ..पर वही इन्सान ने मुझे इस इन्सान से मिलाया था और चली गई थी...और मुझे यह आसा भी नहीं थी की उस इन्सान ने भी कंही कंही उन्हें चोट पहुचाया था ..और उसी रिजल्ट के चलते कंही कंही इस बार वे धोका खा गए ... सायद यह जिंदगी में उन अनजानी बिस्वास और धोखा की जंग थी जिसमे दो इन्सान हार गए ...अभी तक वो सरे सब्द मेरे कानो में गूंज रन्हे है जिनका जबाब मै खोज नहीं पा रंहा हूँ ...पता नहीं मै केसे उसे आपने सब्दो में उतारू कंही मै गलत साबित ना हो जाऊ ... इन्सान जब एक दुसरे से जुरते है तो कब तक एक वे आपने इस रिश्ते को किसी चाहत के बिना गुजर सकते है ...सायद वे भी अयसा नहीं कर पाए और उन्हें इस की कीमत ना जाने कितने सवालो से जीवन भर बिताना परेगा ....



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